माँ थोड़ा सा मुस्काती है, सारी चिंता मिट जाती है, नजर नहीं लग जाए मुझको, काला टी माँ थोड़ा सा मुस्काती है, सारी चिंता मिट जाती है, नजर नहीं लग जाए मुझको,...
हरयाणवी कविता हरयाणवी कविता
पंख फहराए आकाश में उड़ती, झट से भाव प्रकट भी करती। पंख फहराए आकाश में उड़ती, झट से भाव प्रकट भी करती।
हमने अपने भूत को भविष्य का कब्रिस्तान सजाते देखा है। हमने अपने भूत को भविष्य का कब्रिस्तान सजाते देखा है।
तुम्हारी आँखों में नमी जब भी देखता हूँ , हर बार खुद को व्याकुल पाता हूँ , क्यूं चहकार भी कह न पाता ह... तुम्हारी आँखों में नमी जब भी देखता हूँ , हर बार खुद को व्याकुल पाता हूँ , क्यूं ...
इन आँखो की अनदेखी का मजा ही कुछ अलग था, तुम्हारी आँखे नीचे, तो मेरी आसमां को निहार रही थी.... इन आँखो की अनदेखी का मजा ही कुछ अलग था, तुम्हारी आँखे नीचे, तो मेरी आसमां को निह...